'भीतर के ठहराव' को हर इंसान जिंदगी में कभी न कभी अवश्य महसूस करता है । इसी कथ्य पर लिखी मेरी इस कविता को अपनी खुबसूरत आवाज दी है हिमाचल के सिरमौर जिला के प्रतिभाशाली एवं होनहार युवा साहित्यकार भाई दिलीप वशिष्ठ जी ने । उनके इस स्नेह के लिए तहे दिल से आभारी हूँ ।
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